Thursday, 31 August 2023

The Indus Valley Civilization | History , सिन्धु घाटी सभ्यता का इतिहास, विशेषता, द्वीपीय नाश आदि |

 The Indus Valley Civilization

( सिन्धु घाटी सभ्यता का इतिहास, विशेषता, द्वीपीय नाश आदि )

https://alliswell24.blogspot.com/2023/08/The Indus Valley Civilization History .html

सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसे Indus Valley Civilization भी कहा जाता है, एक प्राचीन सभ्यता थी जो Indian Subcontinent के Western Part में सिन्धु और Yamuna Rivers के क्षेत्र में स्थित थी। इस सभ्यता का अवशेष पहली बार 1920 में Harappa (जो अब Pakistan के हरपा नामक स्थान पर स्थित है) में मिले थे, और इसके बाद से इसे "Harappa Civilization" भी कहा जाने लगा है।

सिन्धु घाटी सभ्यता का समय लगभग 3300 BC  से 1300 BC तक था। इस सभ्यता के अवशेषों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, इस सभ्यता के लोगों का Life Dive, मोहनजो-दाड़ी, हरप्पा, लोथल, और अन्य कई स्थलों पर विकसित हुआ था।

सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग Urban Civilization के होते थे, जिन्होंने शहरों की नींव रखी थी, जैसे कि हरप्पा और मोहनजो-दाड़ी। इन शहरों के सड़कें, घर, Public Bathroom, Warehouse, और livestock gathering के स्थान उनकी प्रगति का प्रतीक थे।

इस सभ्यता के लोगों का Business, Agriculture, और Craft Work में रुचि थी, और उन्होंने Hard Rules और Governance System की नींव रखी थी। इसके साथ ही, सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग अच्छे Structural Society में जीते थे और Roads, Houses, और Other Pulic Structures का Beautiful Design बना सकते थे।

हरप्पा सभ्यता की लिपि अब तक Unsolved है, इसलिए हमें इनकी Language और Writing के बारे में अधिक Information नहीं है। इस सभ्यता के Good Monitoring और Statistical Knowledge का Evidence मिला है, जिसमें वयस्कों और बच्चों के लिए अलग-अलग आकार के Printers (मुद्रकों) का इस्तेमाल किया गया था।

सिन्धु घाटी सभ्यता का अच्छा विकास हुआ था, लेकिन इसके Insular Destruction के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। कुछ स्थानों पर Floods और Climate Change के संकेत मिलते हैं, जिनका सुझाव है कि ये Natural Disasters  इस सभ्यता के Existence को खत्म कर सकती हैं।

सिन्धु घाटी सभ्यता का Study और Discovery Indian History और Ancient Civilizations के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ावा देता है, और यह सभ्यता विश्व के Ancient Civilizations से एक महत्वपूर्ण है।

 

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सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता 

( Characteristics of Indus Valley Civilization )

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:

  1. नगरीय सभ्यता (Urban Civilization): सिन्धु घाटी सभ्यता नगरीय सभ्यता का एक उदाहरण था, जिसमें उनके प्रमुख स्थलों में शहरों का विकास हुआ था। इन शहरों के सड़कें, घर, सार्वजनिक स्नानघर, गोदाम, और पशुधन संग्रहण के स्थान उनकी प्रगति का प्रतीक थे।

  2. अल्पकालिक स्थानीय लिपि(Ephemeral Local Script): सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों की एक अल्पकालिक स्थानीय लिपि थी, जिसे अब तक समझा नहीं जा सका है। हरप्पा सभ्यता की लिपि को बराबर की अक्षरों की छवि में दिखाया गया है, जिन्हें सील्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

  3. पब्लिक स्नानघर(Public Bathroom): सिन्धु घाटी सभ्यता के शहरों में सार्वजनिक स्नानघर मौजूद थे, जिन्हें व्यक्तिगत शुद्धता और स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाता था।

  4. प्रगतिशील निगरानीकरण(Progressive Sulveillance): सिन्धु घाटी सभ्यता के शहरों का डिज़ाइन बहुत ही प्रगतिशील था। उनके शहरों के सड़कों, घरों, और अन्य सार्वजनिक संरचनाओं का डिज़ाइन बड़े यथार्थवादी थे, और इनमें बहुत ही उच्च कौशल के साथ गढ़ी गई थी।

  5. व्यापार और व्यवसाय(Trade and business): सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार और व्यवसाय में रुचि रखते थे। उन्होंने अल्पकालिक सामग्री और उत्पादों का व्यापार किया था और उनकी मौजूदगी के आधार पर हम जानते हैं कि वे दूसरे सभ्यताओं के साथ व्यापार करते थे।

  6. सांस्कृतिक अद्यतनीकरण(Cultural Updating): सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेषों में संग्रहित चीजों में आकृतियाँ, मूर्तियाँ, और सामग्री के आधार पर हम जानते हैं कि इस सभ्यता के लोग सांस्कृतिक रूप से अद्यतित थे और वे धार्मिक प्रथाओं को अद्यतनीकरण करते थे।

सिन्धु घाटी सभ्यता भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक प्राचीन और प्रगतिशील सभ्यता का उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिसमें विकास, सामाजिक अद्यतनीकरण, और नगरीय जीवन के कई पहलू होते थे।

 

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सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की ?

( Who discovered Indus Valley Civilization ?)

सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज 1920 में जॉन मर्शल (John Marshall) द्वारा की गई थी। वह एक अंग्रेजी Archeologist (अर्कियोलॉजिस्ट) और Indian Archeologist (भारतीय पुरातात्वविद) थे और उन्होंने सिन्धु घाटी क्षेत्र में हरप्पा (जो अब पाकिस्तान के हरपा नामक स्थान पर है) और मोहनजो-दाड़ी (जो अब पाकिस्तान और भारत के सीमांत पर स्थित है) जैसे स्थलों पर खुदाई कार्य किया।

John Marshall के नेतृत्व में की गई खुदाई से उन्होंने सिन्धु घाटी सभ्यता के Remains (अवशेषों) को उजागर किया और इस सभ्यता की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की, जैसे कि उनके शहरों का Urban Design (नगरीय डिज़ाइन), Materials (सामग्री), Local Script Symbols (स्थानीय लिपि के चिह्न), और Social Structure (सामाजिक संरचना) के बारे में। उनका खोजने का काम सिन्धु घाटी सभ्यता के Science को Initial Knowledge (प्रारंभिक ज्ञान)और बड़ी मात्रा में डेटा प्रदान करने में मदद करा और इस सभ्यता को दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मान्यता दिलाने में मदद की।

 

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सिन्धु घाटी सभ्यता क्या है ?

( What is Indus Valley Civilization ?)

सिन्धु घाटी सभ्यता (जिसे इंडस घाटी सभ्यता भी कहा जाता है) एक प्राचीन सभ्यता थी जो भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित सिन्धु और यमुना नदियों के क्षेत्र में लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक विकसित हुई थी। यह सभ्यता हरप्पा (Harappa) और मोहनजो-दाड़ी (Mohenjo-Daro) जैसे प्रमुख स्थलों पर मिले अवशेषों के आधार पर पहचानी जाती है।

सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्वपूर्ण विशेषता था कि यह एक नगरीय सभ्यता का प्रतीक था, जिसमें शहरों का विकास हुआ था। इन शहरों के सड़कें, घर, सार्वजनिक स्नानघर, गोदाम, और पशुधन संग्रहण के स्थान उनकी प्रगति का प्रतीक थे। सिन्धु घाटी सभ्यता के शहरों के डिज़ाइन बहुत ही प्रगतिशील थे और उनके निगरानीकरण के प्रमुख चरण थे।

इस सभ्यता के अवशेषों में मिले संग्रहित चीजें और विज्ञान के आधार पर हम जानते हैं कि इसमें अद्वितीय चीजें और योग्यताएँ थीं, जैसे कि सामाजिक संरचना, स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्नान की महत्वपूर्णता, और सांस्कृतिक अद्यतनीकरण के प्रतीक।

सिन्धु घाटी सभ्यता की लिपि अब तक समझा नहीं जा सका है, इसलिए हमें इसकी भाषा और लेखन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। इस सभ्यता के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए खुदाई और अध्ययन जारी है, और नए खोजों और अनुसंधानों के परिणामस्वरूप हमें इस सभ्यता के बारे में और जानकारी मिल सकती है।

 

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 सिन्धु घाटी सभ्यता का इतिहास

( History of Indus Valley Civilization )

सिन्धु घाटी सभ्यता का इतिहास इस प्रकार है:
  1. सभ्यता की खोज (1920s-1930s): सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज 1920s में जॉन मर्शल और उसकी टीम द्वारा की गई। वे भारत के पाकिस्तान स्थित हरप्पा और मोहनजो-दाड़ी नामक स्थलों पर खुदाई कार्य करते समय सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेषों को खोजे।

  2. सभ्यता की उपस्थिति (लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व): सिन्धु घाटी सभ्यता का समय लगभग 3300 ईसा पूर्व से लेकर 1300 ईसा पूर्व तक था। यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी भाग, विशेषकर पाकिस्तान, भारत, और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैली थी।

  3. शहरों का विकास: सिन्धु घाटी सभ्यता के शहरों का विकास हुआ था, जैसे कि हरप्पा, मोहनजो-दाड़ी, लोथल, और दूसरे स्थल। इन शहरों में बड़े-बड़े घर, सार्वजनिक स्नानघर, गोदाम, और बाजार स्थित थे।

  4. भाषा और लिपि: सिन्धु घाटी सभ्यता की भाषा और लिपि का अध्ययन किया गया है, लेकिन यह अब तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। सिन्धु घाटी की लिपि को सील्स के रूप में मिला है, और यह सामग्री और अल्पकालिक स्थानीय लिखाई के लिए इस्तेमाल होती थी।

  5. सामाजिक संरचना: इस सभ्यता की सामाजिक संरचना में वर्गीय विभाजन और संघटन हुआ था, जिसमें बाजारी व्यापारी, श्रमिक, और अन्य वर्ग शामिल थे। सामाजिक हीरार्की का सूचना व्यक्तिगत मूद्रों के आधार पर मिली है।

  6. धर्म और सांस्कृतिक प्रथाएँ: सिन्धु घाटी सभ्यता में धार्मिक प्रथाएँ और सांस्कृतिक अद्यतनीकरण का सबूत है। इनमें यज्ञों के लिए विशेष स्थल, गोदान, मूर्तियाँ, और अन्य धार्मिक चीजें शामिल हैं।

  7. नाश का रहस्य: सिन्धु घाटी सभ्यता का नाश कारणों की समझ में आज तक विवाद है। कुछ स्थानों पर बाढ़, जलवायु परिवर्तन, या सामाजिक या आर्थिक दिक्कतों के संकेत मिलते हैं, लेकिन नाश का अंतिम कारण अब भी स्पष्ट नहीं है।

सिन्धु घाटी सभ्यता भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह प्राचीन सभ्यताओं का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिसमें नगरीय जीवन, सामाजिक संरचना, और सांस्कृतिक प्रथाएँ के कई पहलू होते हैं।

 

सिन्धु घाटी सभ्यता की द्वीपीय नाश

( Insular Destruction of Indus Valley Civilization )

सिन्धु घाटी सभ्यता का द्वीपीय नाश अबतक स्पष्टता से नहीं जाना जा सकता है, लेकिन इसके नाश के कई संभावित कारण दिलचस्प हैं:
  1. प्राकृतिक आपदाएँ: कुछ अध्ययनों में सुझाव है कि प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे कि बाढ़ या सुखद जलवायु परिवर्तन, सिन्धु घाटी सभ्यता के नाश के मुख्य कारण हो सकती हैं। इसका प्रमुख प्रमाण विभिन्न स्थलों पर मिले जलस्तरों की परिवर्तन के लिए है, जो इस सभ्यता के स्थलों को प्रभावित कर सकते थे।

  2. सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन: कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन भी सिन्धु घाटी सभ्यता के नाश का कारण हो सकते हैं। यह संभावना है कि युद्ध, आंतरिक विवाद, या बाह्य आक्रमण ने इस सभ्यता को कमजोर किया हो सकता है.

  3. आर्थिक परिवर्तन: आर्थिक परिवर्तन भी इस सभ्यता के नाश का कारण हो सकता है, जैसे कि व्यापार में कमी, अनिश्चितता, या उपभोग योजनाओं के बदलते पैटर्न।

  4. सांस्कृतिक परिवर्तन: बाकी किसी सभ्यता के तरह, सिन्धु घाटी सभ्यता में भी सांस्कृतिक परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे कि भाषा, धार्मिक प्रथाएँ, या सामाजिक अद्यतनीकरण, जो इसके नाश का कारण बन सकते हैं।

सिन्धु घाटी सभ्यता का नाश एक गुढ़ रहस्य है और अब तक इसके सटीक कारणों का पता नहीं लग सका है। इस प्राचीन सभ्यता के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए खुदाई और अध्ययन जारी है, और नए खोजों और अनुसंधानों के परिणामस्वरूप हमें इस सभ्यता के नाश के कारणों के बारे में और जानकारी मिल सकती है।

 

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 सिन्धु घाटी सभ्यता की कला

( Art of Indus Valley Civilization )

सिन्धु घाटी सभ्यता की कला उसके विकासकाल में मिली जाने वाली कला की एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण रूपरेखा है। इस सभ्यता की कला की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
  1. सिलिंड्रिकल सील्स: सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेषों में मिली सील्स एक विशेष शैली की थीं। इन सील्स पर विभिन्न प्रकार की छवियाँ और प्रतिष्ठान होते थे, और ये आमतौर पर वस्त्र, सामग्री, या अन्य चीजों के ढंग से इस्तेमाल होते थे।

  2. मूर्तिकला: सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला भी महत्वपूर्ण थी। इसमें पशुओं, मानव और अन्य प्राकृतिक और अद्वितीय मूर्तियाँ बनाई जाती थीं।

  3. चित्रकला: इस सभ्यता की चित्रकला भी विकसित थी, और छवियों में पौधों, प्राकृतिक स्थलों, और जीवों का चित्रण किया जाता था।

  4. संरचनात्मक कला: सिन्धु घाटी सभ्यता के शहरों के संरचनात्मक डिज़ाइन में भी कला का महत्वपूर्ण योगदान था। उनके शहरों के सड़कों, घरों, और सार्वजनिक संरचनाओं का डिज़ाइन बहुत ही प्रगतिशील था।

  5. सिन्धु घाटी की संगीत: हमें सिन्धु घाटी सभ्यता की संगीत के बारे में थोड़ी जानकारी मिलती है, लेकिन इस सभ्यता की सील्स पर म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स के छवियाँ मिलती हैं, जो संगीत का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।

सिन्धु घाटी सभ्यता की कला उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक जीवन का प्रतीक थी और इसका अध्ययन हमें इस सभ्यता के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।

 

 सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रश्न

( Questions about Indus Valley Civilization )

FAQ:

सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में कई प्रश्न हो सकते हैं, जिनमें इस सभ्यता के इतिहास, संगठन, और अन्य पहलूओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख प्रश्न दिए गए हैं:

  1. सिन्धु घाटी सभ्यता क्या थी?
    इस सभ्यता का अवलोकन करें और इसके प्रमुख विशेषताओं को समझें।

  2. सिन्धु घाटी सभ्यता के स्थल क्या थे?
    इस सभ्यता के प्रमुख स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और उनके महत्व को समझें।

  3. सिन्धु घाटी सभ्यता के लिपि क्या थी?
    इस सभ्यता की लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त करें और यह कैसे अक्षरों का इस्तेमाल करती थी।

  4. क्या है सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक संरचना?
    इस सभ्यता की सामाजिक व्यवस्था और वर्गीय विभाजन के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

  5. सिन्धु घाटी सभ्यता का नाश क्यों हुआ?
    इस सभ्यता के नाश के पीछे के कारणों को समझें और विशिष्ट तथ्यों की खोज करें।

  6. सिन्धु घाटी सभ्यता की कला क्या है?
    इस सभ्यता की कला और विस्तारित कला के बारे में अध्ययन करें।

  7. सिन्धु घाटी सभ्यता और दूसरी प्राचीन सभ्यताएँ:
    इस सभ्यता का अन्य प्राचीन सभ्यताओं के साथ तुलना करें, जैसे कि मेसोपोटामिया, इंडस सभ्यता, और ग्रीक सभ्यता।

  8. सिन्धु घाटी सभ्यता का आधार:
    इस सभ्यता के इतिहास के आधार पर आध्यात्मिकता, धर्म, और सांस्कृतिक प्रथाओं का पता करें।

  9. सिन्धु घाटी सभ्यता के अद्वितीयता:
    इस सभ्यता की अद्वितीयता और उनके योगदान को समझें, जैसे कि सड़कों का डिज़ाइन और सार्वजनिक स्नानघरों की महत्वपूर्णता

ये प्रश्न सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको मदद कर सकते हैं और इस प्राचीन सभ्यता के इतिहास और महत्व को समझने में मदद कर सकते हैं।

ANSWERE

1-सिन्धु घाटी सभ्यता और प्रमुख विशेषताएं:

सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे प्राचीन शहरी सभ्यता थी। यह सभ्यता 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक पनपी थी।

सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं:

1. नगर नियोजन:

  • सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में एक जटिल नगर नियोजन व्यवस्था थी।
  • शहरों को ग्रिड पैटर्न में बनाया गया था, जिसमें सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • घरों में ईंटों का उपयोग होता था और उनमें स्नानघर, कुएं और जल निकासी प्रणाली भी थी।

2. जल प्रबंधन:

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने जल प्रबंधन तकनीकों में महारत हासिल की थी।
  • उन्होंने बांधों, कुओं और नहरों का निर्माण किया था।
  • मोहनजोदड़ो में 'ग्रेट बाथ' नामक एक विशाल स्नानघर का निर्माण भी हुआ था।

3. व्यापार:

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार करते थे।
  • वे सोना, चांदी, तांबा, कांस्य, मिट्टी के बर्तन और आभूषणों का व्यापार करते थे।

4. कला और संस्कृति:

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कला और संस्कृति में भी कुशल थे।
  • उन्होंने मूर्तियों, मुहरों, और मिट्टी के बर्तनों पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी की थी।
  • 'पशुपतिनाथ' की मूर्ति सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे प्रसिद्ध कलाकृति है।

5. लिपि:

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की अपनी लिपि थी।
  • यह लिपि अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं गई है।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि यह एक चित्रलिपि है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन:

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन 1300 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था।

इस पतन के कारणों के बारे में कई सिद्धांत हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • प्राकृतिक आपदाएं, जैसे कि बाढ़ और भूकंप
  • जलवायु परिवर्तन
  • आक्रमण
  • आंतरिक संघर्ष

सिंधु घाटी सभ्यता का भारत के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा है।यह सभ्यता हमें कला, संस्कृति, नगर नियोजन और जल प्रबंधन में सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की उपलब्धियों के बारे में बताती है।यह सभ्यता हमें यह भी याद दिलाती है कि प्राचीन भारत एक समृद्ध और विकसित सभ्यता था।

 

2-सिन्धु घाटी सभ्यता के स्थल क्या थे?

सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) कालकोठरी कांस्य युग की सभ्यता थी जो पाकिस्तान और भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में पनपी थी। 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच अपने परिपक्व चरण में, आईवीसी ने 500,000 से अधिक लोगों का समर्थन करने वाले 1,000 से अधिक शहरी केंद्रों और बस्तियों का एक व्यापक नेटवर्क शामिल किया था। दो सबसे बड़े शहर, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, क्रमशः पाकिस्तान और भारत में स्थित हैं।

आईवीसी स्थलों को पाकिस्तान और भारत के कई राज्यों में पाया गया है, जिनमें पंजाब, सिंध, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में शामिल हैं:

  • मोहनजोदड़ो, पाकिस्तान
  • हड़प्पा, भारत
  • गणवेरीवाला, पाकिस्तान
  • लोथल, भारत  
  • धोलावीरा, भारत  
  • राखीगढ़ी, भारत
  • कालीबंगा, भारत  
  • बालाकोट, पाकिस्तान

आईवीसी स्थलों की विशेषता आम तौर पर उनकी ग्रिड-योजना वाली सड़कों, ईंट-निर्मित घरों और सार्वजनिक स्नानघरों से होती है। आईवीसी लोग कृषि, पशुपालन और व्यापार में भी लगे हुए थे। उन्होंने एक परिष्कृत लिपि भी विकसित की जो अभी तक समझी नहीं गई है।

आईवीसी 1900 ईसा पूर्व के आसपास गिरावट में आ गया, लेकिन इसके पतन के कारण अभी भी अज्ञात हैं। संभावित स्पष्टीकरणों में जलवायु परिवर्तन, आक्रमण और प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं।

 

3-सिन्धु घाटी सभ्यता के लिपि क्या थी?

 सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) की लिपि, जिसे "सिंधु लिपि" या "हड़प्पा लिपि" के रूप में भी जाना जाता है, अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं गई है। यह लिपि लगभग 4000 चिह्नों से बनी है, जिनमें से अधिकांश चित्रलिपि हैं। कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि यह एक ध्वन्यात्मक लिपि भी हो सकती है, जिसका अर्थ है कि यह ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करती है।

आईवीसी लिपि का उपयोग विभिन्न प्रकार की सामग्रियों पर किया गया था, जिसमें मुहरें, मिट्टी के बर्तन, और पत्थर की टैबलेट शामिल हैं। लिपि को आमतौर पर दाएं से बाएं लिखा जाता था।

आईवीसी लिपि को समझने में कई चुनौतियां हैं। सबसे पहले, लिपि में बहुत सारे चिह्न हैं, और उनमें से कई समान दिखते हैं। दूसरा, लिपि में कोई ज्ञात द्विभाषी या बहुभाषी ग्रंथ नहीं है, जो भाषा की पहचान करने में मदद कर सकता है। तीसरा, लिपि में कोई ज्ञात व्याकरण या शब्दकोश नहीं है।

इन चुनौतियों के बावजूद, विद्वानों ने आईवीसी लिपि को समझने में कुछ प्रगति की है। उन्होंने कुछ चिह्नों के अर्थ की पहचान की है, और उन्होंने कुछ वाक्यों और वाक्यांशों को डिकोड किया है।

आईवीसी लिपि को समझने का काम जारी है, और यह संभावना है कि भविष्य में और अधिक प्रगति होगी। लिपि को समझने से हमें आईवीसी लोगों की भाषा, संस्कृति और इतिहास के बारे में अधिक जानने में मदद मिलेगी।

यहां कुछ संभावित व्याख्याएं दी गई हैं:

  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि आईवीसी लिपि एक प्रोटो-द्रविड़ भाषा का प्रतिनिधित्व करती है।
  • अन्य का मानना ​​है कि यह एक प्रोटो-इंडो-ईरानी भाषा का प्रतिनिधित्व करती है।
  • अभी भी दूसरों का मानना ​​है कि यह एक पूरी तरह से अलग भाषा परिवार का प्रतिनिधित्व करती है।

आईवीसी लिपि को समझने का काम जारी है, और यह संभावना है कि भविष्य में और अधिक प्रगति होगी। लिपि को समझने से हमें आईवीसी लोगों की भाषा, संस्कृति और इतिहास के बारे में अधिक जानने में मदद मिलेगी।

 

4:क्या है सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक संरचना?

सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) की सामाजिक संरचना जटिल और विकसित थी। समाज विभिन्न वर्गों में विभाजित था, जिनमें शामिल हैं:

1. शासक वर्ग:

  • यह वर्ग शहरों और गांवों पर शासन करता था।
  • शासक वर्ग के सदस्य पुरोहित, योद्धा और प्रशासक थे।
  • वे महलों और बड़े घरों में रहते थे।

2. व्यापारी:

  • व्यापारी विभिन्न शहरों और गांवों के बीच व्यापार करते थे।
  • वे सोना, चांदी, तांबा, कांस्य, मिट्टी के बर्तन और आभूषणों का व्यापार करते थे।
  • वे समाज के धनी वर्ग का हिस्सा थे।

3. कारीगर:

  • कारीगर विभिन्न प्रकार के सामान बनाते थे, जिनमें मिट्टी के बर्तन, धातु के उपकरण और आभूषण शामिल थे।
  • वे समाज के कुशल वर्ग का हिस्सा थे।

4. किसान:

  • किसान फसलें उगाते थे और पशुओं को पालते थे।
  • वे समाज के सबसे बड़े वर्ग का हिस्सा थे।

5. दास:

  • दास समाज के सबसे निचले वर्ग का हिस्सा थे।
  • वे शासक वर्ग और व्यापारियों द्वारा गुलाम बनाए गए थे।

आईवीसी समाज में महिलाओं की स्थिति उच्च थी। वे शिक्षा प्राप्त कर सकती थीं, संपत्ति का स्वामित्व रख सकती थीं और व्यवसाय में भाग ले सकती थीं।

आईवीसी समाज में कला और संस्कृति का भी महत्वपूर्ण स्थान था। लोगों ने मूर्तियों, मुहरों, और मिट्टी के बर्तनों पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी की थी। 'पशुपतिनाथ' की मूर्ति आईवीसी की सबसे प्रसिद्ध कलाकृति है।

आईवीसी समाज का पतन 1300 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था।

इस पतन के कारणों के बारे में कई सिद्धांत हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • प्राकृतिक आपदाएं, जैसे कि बाढ़ और भूकंप
  • जलवायु परिवर्तन
  • आक्रमण
  • आंतरिक संघर्ष

आईवीसी समाज का भारत के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

यह समाज हमें कला, संस्कृति, नगर नियोजन और जल प्रबंधन में आईवीसी लोगों की उपलब्धियों के बारे में बताती है।यह समाज हमें यह भी याद दिलाती है कि प्राचीन भारत एक समृद्ध और विकसित सभ्यता था।

 

5:सिन्धु घाटी सभ्यता का नाश क्यों हुआ?

सिंधु घाटी सभ्यता का नाश 1300 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था।

इस सभ्यता के नाश के कारणों को लेकर कई सिद्धांत मौजूद हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख नीचे किया गया है:

1. प्राकृतिक आपदाएं:

  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि बाढ़, भूकंप, या सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का नाश हुआ।
  • पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि इस सभ्यता के दौरान कई शहरों में बाढ़ आई थी।
  • कुछ शहरों में भूकंप के प्रमाण भी मिले हैं।

2. जलवायु परिवर्तन:

  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का नाश हुआ।
  • इस सभ्यता के दौरान, मानसून पैटर्न में बदलाव आया था, जिसके कारण क्षेत्र में सूखा पड़ा था।
  • सूखे के कारण फसलें नष्ट हो गईं और लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ा।

3. आक्रमण:

  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि आक्रमणकारियों के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का नाश हुआ।
  • कुछ पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि कुछ शहरों पर हमला किया गया था।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि आक्रमणकारी मध्य एशिया से आए थे।

4. आंतरिक संघर्ष:

  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि आंतरिक संघर्ष के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का नाश हुआ।
  • कुछ पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि कुछ शहरों में विद्रोह हुए थे।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि सामाजिक और आर्थिक असमानता के कारण आंतरिक संघर्ष हुआ था।

यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि सिंधु घाटी सभ्यता का नाश किस कारण हुआ। यह संभव है कि इनमें से सभी कारकों ने इस सभ्यता के नाश में योगदान दिया हो।

 

6:सिन्धु घाटी सभ्यता की कला क्या है?

सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) कला, संस्कृति और नगर नियोजन में अपनी उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध है।

आईवीसी कला की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

  • विभिन्न प्रकार की कला: आईवीसी कला में मूर्तियां, मुहरें, मिट्टी के बर्तन, आभूषण और चित्रकारी शामिल थे।
  • यथार्थवाद: आईवीसी कला में मनुष्यों और जानवरों का यथार्थवादी चित्रण किया गया था।
  • धार्मिक महत्व: कुछ आईवीसी कलाकृतियां धार्मिक महत्व की थीं, जैसे कि 'पशुपतिनाथ' की मूर्ति।
  • सजावटी कला: आईवीसी कलाकृतियां अक्सर ज्यामितीय और पुष्प पैटर्न से सजाई जाती थीं।

आईवीसी कला के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण:

  • पशुपतिनाथ की मूर्ति: यह एक बैल के साथ बैठे हुए एक योगी की मूर्ति है। इसे आईवीसी की सबसे प्रसिद्ध कलाकृति माना जाता है।
  • नृत्य करने वाली लड़की की मूर्ति: यह एक कांस्य मूर्ति है जो एक नृत्य करने वाली लड़की को दर्शाती है।
  • मातृदेवी की मूर्ति: यह एक स्त्री की मूर्ति है जो बच्चों को स्तनपान करा रही है। इसे मातृत्व का प्रतीक माना जाता है।
  • मुहरें: आईवीसी लोग मुहरों का इस्तेमाल व्यापार और प्रशासन के लिए करते थे। इन मुहरों पर जानवरों, देवताओं और ज्यामितीय पैटर्न की नक्काशी होती थी।
  • मिट्टी के बर्तन: आईवीसी लोग विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन बनाते थे, जिनमें घड़े, कटोरे, और प्लेटें शामिल थीं। इन बर्तनों को अक्सर ज्यामितीय और पुष्प पैटर्न से सजाया जाता था।

आईवीसी कला का महत्व:

आईवीसी कला हमें इस सभ्यता की संस्कृति, धर्म और जीवन शैली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। यह कला हमें यह भी दिखाती है कि आईवीसी लोग कला और सौंदर्यशास्त्र में बहुत कुशल थे।

आईवीसी कला का भारत के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

यह कला हमें प्राचीन भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति की याद दिलाती है।

यहां कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:

  • आईवीसी कला का उपयोग विभिन्न प्रकार की सामग्रियों पर किया गया था, जिनमें पत्थर, धातु, मिट्टी और लकड़ी शामिल थे।
  • आईवीसी कला का व्यापार मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी अन्य सभ्यताओं के साथ किया जाता था।
  • आईवीसी कला का अध्ययन आज भी कलाकारों और विद्वानों द्वारा किया जाता है।

 

7:सिंधु घाटी सभ्यता और दूसरी प्राचीन सभ्यताएँ: तुलनात्मक अध्ययन

सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) दुनिया की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक पनपी थी।

आईवीसी की तुलना अन्य प्राचीन सभ्यताओं से निम्नलिखित आधारों पर की जा सकती है:

1. नगर नियोजन:

  • आईवीसी शहरों में जटिल नगर नियोजन व्यवस्था थी।
  • शहरों को ग्रिड पैटर्न में बनाया गया था, जिसमें सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • घरों में ईंटों का उपयोग होता था और उनमें स्नानघर, कुएं और जल निकासी प्रणाली भी थी।
  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी नगर नियोजन व्यवस्था थी, लेकिन आईवीसी की व्यवस्था सबसे जटिल और उन्नत थी।

2. जल प्रबंधन:

  • आईवीसी लोगों ने जल प्रबंधन तकनीकों में महारत हासिल की थी।
  • उन्होंने बांधों, कुओं और नहरों का निर्माण किया था।
  • मोहनजोदड़ो में 'ग्रेट बाथ' नामक एक विशाल स्नानघर का निर्माण भी हुआ था।
  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग होता था, लेकिन आईवीसी की तकनीकें सबसे उन्नत थीं।

3. व्यापार:

  • आईवीसी लोग मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार करते थे।
  • वे सोना, चांदी, तांबा, कांस्य, मिट्टी के बर्तन और आभूषणों का व्यापार करते थे।
  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी व्यापार होता था, लेकिन आईवीसी का व्यापारिक नेटवर्क सबसे व्यापक था।

4. कला और संस्कृति:

  • आईवीसी लोग कला और संस्कृति में भी कुशल थे।
  • उन्होंने मूर्तियों, मुहरों, और मिट्टी के बर्तनों पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी की थी।
  • 'पशुपतिनाथ' की मूर्ति आईवीसी की सबसे प्रसिद्ध कलाकृति है।
  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी कला और संस्कृति का विकास हुआ था, लेकिन आईवीसी कला का अपना एक अलग स्थान है।

5. लिपि:

  • आईवीसी लोगों की अपनी लिपि थी।
  • यह लिपि अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं गई है।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि यह एक चित्रलिपि है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है।
  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं में भी लिपि का विकास हुआ था, लेकिन आईवीसी लिपि अभी भी एक रहस्य है।

निष्कर्ष:

सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन सभ्यताओं में से एक थी।

यह सभ्यता अपनी जटिल नगर नियोजन व्यवस्था, उन्नत जल प्रबंधन तकनीकों, व्यापक व्यापारिक नेटवर्क, समृद्ध कला और संस्कृति और रहस्यमय लिपि के लिए प्रसिद्ध है।

आईवीसी का अध्ययन हमें प्राचीन भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति की याद दिलाता है।

 

8:सिंधु घाटी सभ्यता का आधार:

 

सिंधु घाटी सभ्यता (आईवीसी) का आधार कृषि, पशुपालन और व्यापार था।

कृषि:

  • आईवीसी लोग गेहूं, जौ, चावल, कपास और गन्ने जैसी फसलों की खेती करते थे।
  • वे सिंचाई के लिए नहरों और कुओं का उपयोग करते थे।
  • कृषि आईवीसी अर्थव्यवस्था का आधार थी।

पशुपालन:

  • आईवीसी लोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर जैसे जानवरों को पालते थे।
  • वे इन जानवरों से दूध, मांस, खाल और ऊन प्राप्त करते थे।
  • पशुपालन भी आईवीसी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

व्यापार:

  • आईवीसी लोग मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार करते थे।
  • वे सोना, चांदी, तांबा, कांस्य, मिट्टी के बर्तन और आभूषणों का व्यापार करते थे।
  • व्यापार ने आईवीसी अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आईवीसी के आधार के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

  • आईवीसी लोग एक जटिल सामाजिक संरचना में रहते थे।
  • उनके पास एक शासक वर्ग, व्यापारी वर्ग, कारीगर वर्ग और किसान वर्ग थे।
  • आईवीसी लोग कला और संस्कृति में भी कुशल थे।
  • उन्होंने मूर्तियों, मुहरों, और मिट्टी के बर्तनों पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी की थी।

निष्कर्ष:

सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन सभ्यताओं में से एक थी।

यह सभ्यता अपनी कृषि, पशुपालन, व्यापार, जटिल सामाजिक संरचना और समृद्ध कला और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।

आईवीसी का अध्ययन हमें प्राचीन भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति की याद दिलाता है।

 

9-सिन्धु घाटी सभ्यता के अद्वितीयता

 

सिन्धु घाटी सभ्यता (आईवीसी) कई मायनों में अद्वितीय थी, इसे अन्य प्राचीन सभ्यताओं से अलग करती है। यहाँ कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:

1. जटिल और समान नगर नियोजन:

  • आईवीसी शहरों में ग्रिड पैटर्न का उपयोग करते हुए जटिल और अत्यधिक व्यवस्थित नगर नियोजन था।
  • सड़कें चौड़ी और समकोण पर काटती थीं, जिससे आवागमन और स्वच्छता आसान हो जाती थी।
  • सभी शहरों में पानी के कुएं, जल निकासी प्रणाली और अनाज भंडारण के लिए बड़े ढांचे जैसे समान विशेषताएं थीं।
  • यह स्तर अन्य प्राचीन सभ्यताओं में शायद ही दिखाई देता है।

2. उन्नत जल प्रबंधन:

  • आईवीसी लोगों ने बांधों, कुओं, जलाशयों और नहरों का निर्माण करके उन्नत जल प्रबंधन तकनीकों का विकास किया।
  • उदाहरण के लिए, मोहनजो-दड़ो में ग्रेट बाथ एक स्नान के रूप में नहीं, बल्कि बारिश के पानी को इकट्ठा करने और संग्रहीत करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
  • अन्य सभ्यताओं में भी सिंचाई तकनीकें थीं, लेकिन आईवीसी का व्यापक और एकीकृत सिस्टम विशिष्ट था।

3. व्यापक व्यापारिक नेटवर्क:

  • आईवीसी व्यापारियों का नेटवर्क व्यापक था, इसमें मेसोपोटामिया, मिस्र और मध्य एशिया तक विस्तार था।
  • वे सोना, चांदी, तांबा, मोती, खाल, मिट्टी के बर्तन और अन्य सामानों का व्यापार करते थे।
  • अन्य सभ्यताओं का व्यापार भी होता था, लेकिन आईवीसी की दूरी और पैमाना अद्वितीय था।

4. रहस्यमय और अनजानी लिपि:

  • सिंधु लिपि अभी भी पूरी तरह से समझी नहीं गई है, यद्यपि इसमें लगभग 400 से अधिक चिह्न हैं।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि यह एक चित्रलिपि है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है।
  • इस लिपि की समझ न होने के कारण भाषा और संस्कृति संबंधी कई सवाल अनसुलझे रह जाते हैं।

5. शांत और हिंसा रहित संस्कृति:

  • अन्य प्राचीन सभ्यताओं के विपरीत, आईवीसी में युद्ध या बड़े पैमाने पर हिंसा के कोई निश्चित साक्ष्य नहीं मिले हैं।
  • कोई बड़े हथियार नहीं पाए गए और किले जैसी रक्षात्मक संरचनाएं भी दुर्लभ हैं।
  • यह इंगित करता है कि समाज शांत और सहयोगी रहा होगा।

6. विशिष्ट मुहर संस्कृति:

  • मुहरों का व्यापक उपयोग आईवीसी की एक प्रमुख विशेषता थी।
  • ये छोटे पत्थर या टेराकोटा की नक्काशीदार वस्तुएं थीं, जिनका उपयोग व्यापार और प्रशासन दोनों में किया जाता था।
  • इन मुहरों पर जानवरों, देवी-देवताओं और ज्यामितीय पैटर्न की छवियां होती थीं।
  • मुहरों की शैली और डिजाइन अन्य सभ्यताओं से अलग है।

7. समान देवी-देवताओं की पूजा:

  • खुदाई में मिली मूर्तियों और मुहरों से पता चलता है कि आईवीसी के कुछ समान देवी-देवता थे।
  • इसमें पशुपतिनाथ की आकृति प्रमुख है, जिसे एक योगी के रूप में दर्शाया गया है।
  • यह एक साझा धार्मिक विश्वास प्रणाली का सुझाव देता है, जो अन्य सभ्यताओं में कम स्पष्ट है।

निष्कर्ष:

सिंधु घाटी सभ्यता अपने जटिल नगर नियोजन, उन्नत जल प्रबंधन, व्यापक व्यापार, अनजानी लिपि, शांत संस्कृति, विशिष्ट मुहर संस्कृति और साझा देवताओं के कारण प्राचीन दुनिया

 






Thursday, 3 August 2023

Sebi-Sahara Refund Online Application Form 2023

















































Sebi Sahara Refund Application form 2023









































































































































Sebi-Sahara Refund Online Application Form 2023

सार (Summary)

सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं द्वारा दावे प्रस्तुत करने के लिए
Sahara Refund Portal (सहारारिफंड पोर्टल ) Launched किया गया है। रुपये की Return 
Process निवेशकों को 5,000 करोड़ रुपये देने की शुरुआत हो चुकी है।

 

Sahara Cooperative Societies के निवेशकों को घोटाले के कारण फंसा पैसा वापस
मिलने वाला है।सहारा समूह की सहकारी समितियों के Genuine Depositors द्वारा दावे प्रस्तुत
करने  के लिए सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया गया है। रुपये की वापसी प्रक्रिया निवेशकों को
5,000 करोड़ रुपये देने की शुरुआत हो चुकी है।
 

  सहारा सहकारी समितियों में निम्नलिखित शामिल हैं-

 
सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
(Sahara Credit Cooperative Society Limited)
सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड
(Saharan Universal Multipurpose Society Limited)
हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड 
(Hamara India Credit Cooperative Society Limited)
स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड। 
(Stars Multipurpose Cooperative Society Limited)

 

सहारा जमाकर्ताओं को पहले भुगतान के रूप में कितना पैसा मिलेगा?

(How much money will Sahara depositors get as first payment ?)   

प्रेस सूचना ब्यूरो की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस पोर्टल के माध्यम से एक करोड़ रुपये तक का पहला भुगतान किया जाएगा। 

 

 सहारा रिफंड पोर्टल कैसे काम करता है? 

(How does Sahara Refund Portal work?)

 

 प्रक्रिया के लिए दो प्रमुख शर्तें हैं: पहला, निवेशक का Aadhaar Card उनके Mobile Number से Connected होना चाहिए; दूसरा, इसे उनके Bank Account से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने निवेशकों को बताया कि पैसा 45 दिनों के भीतर निवेशकों के बैंक खातों में डाल दिया जाएगा।अपनी Identity की गारंटी के लिए, जमाकर्ताओं के आधार कार्ड मान्य होंगे। वास्तविक जमाकर्ताओं को Payment उनके Online Claims दाखिल करने के 45 दिनों के भीतर, Amount  की Availability के अधीन, उनके Bank Account में Deposit कर दिया जाएगा और उन्हें SMS or Portal के माध्यम से Status की जानकारी दी जाएगी। उनके Claims और Upload किए गए Documents को नियुक्त सोसायटी, ऑडिटर और ओएसडी द्वारा सत्यापित किया गया है। अपने दावे और जमा की पुष्टि के रूप में, सोसायटी के वास्तविक जमाकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया जाता है कि उनके पास एक Bank Account और एक Mobile Number है जो दोनों उनके आधार से Connected होने चाहिये हैं।

 

 सीआरसीएस सहारा रिफंड पोर्टल पर दावा दायर करने के लिए पात्रता मानदंड क्या है? 

 (What is the eligibility criteria to file a claim on CRCS Sahara Refund Portal?)

 Calims Request दाखिल करने के लिए Depositors को निम्नलिखित Dates से पहले Submit करना होगा और बकाया राशि प्राप्त करनी होगी: 

सहारा  इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, कोलकाता के लिए 22 मार्च 2022सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, भोपाल और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हैदराबाद के लिए 29 मार्च 2023

 

👉Sahara Refund Registration👈 

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यूपी किसान कल्याण मिशन

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई)

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)    

संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस)

 कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ)

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम)

 

Some Important Link

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Sunday, 23 July 2023

How to Log in to hPanel Hostinger | cPanel Hostinger

How To Log Into H-Panel Hostinger

(एच-पैनल होस्टिंगर में कैसे लॉग इन करें)


https://alliswell24.blogspot.com/2023/07/How to Log in to hPanel Hostinger.html

Hostinger's hPanel (formerly known as cPanel) is the control panel provided by Hostinger for managing your hosting account and website. It offers a user-friendly interface that allows you to access and manage various aspects of your hosting services.
 

 Here's a Full Description Of H-Panel And Its Functionalities:

  1. Accessing hPanel: To access h-Panel, you need to log in to your Hostinger account. You can do this by visiting the Hostinger website ( https://hostinger.in?REFERRALCODE=1SHIVANSH58 ) and clicking on the "Login" button in the top right corner. Enter your login credentials (email and password) to access your hosting account's dashboard.
  2. Dashboard Overview: Once you log in, you'll be taken to the h-Panel dashboard. The dashboard serves as the central hub for managing your hosting services. It provides a clean and intuitive interface with easy-to-navigate menus.
  3. File Manager: The File Manager in h-Panel allows you to manage your website files directly from the control panel. You can upload, download, delete, and edit files without the need for a third-party FTP client.
  4. Domains: In this section, you can manage your domain names. You can add new domains, set up subdomains, manage domain redirects, and configure DNS settings.
  5. Email Accounts: The Email Accounts section enables you to create and manage email accounts associated with your domain. You can set up professional email addresses, change passwords, and access webmail services.
  6. Databases: This area allows you to manage your databases (e.g., MySQL). You can create and delete databases, add users, and manage database permissions.
  7. Backups: In h-Panel, you can create and restore backups of your website files and databases. Regular backups are essential for safeguarding your website data.
  8. Auto Installer: The Auto Installer (usually Softaculous) is a powerful tool that lets you install various applications and scripts with just a few clicks. It includes popular CMS platforms like WordPress, Joomla, Drupal, and many others.
  9. Metrics: The Metrics section provides statistics and insights about your website's performance. You can monitor bandwidth usage, view visitor statistics, error logs, and more.
  10. SSL Certificates: Hostinger offers free SSL certificates for your domains, and you can manage them from the h-Panel. SSL certificates ensure secure connections between your website and visitors, boosting security and trust.
  11. Advanced Settings: The Advanced Settings section gives you access to various advanced configurations, such as cron jobs, SSH access, and PHP settings.
  12. Support: If you encounter any issues or have questions, hPanel offers access to Hostinger's customer support. You can find links to live chat support, email support, and access to the knowledge base directly from the control panel.
  13. Website Builder: Some Hostinger hosting plans include a user-friendly website builder that allows you to create and customize your website without any coding knowledge. You can access the website builder from h-Panel, and it provides a drag-and-drop interface with pre-designed templates to make website creation a breeze.
  14. DNS Zone Editor: The DNS Zone Editor is a powerful tool in h-Panel that allows you to manage your domain's DNS records. You can add, modify, or delete DNS records such as A records, CNAME records, MX records, and more, giving you full control over your domain's DNS configuration.
  15. Cloudflare Integration: Hostinger integrates with Cloudflare, a Content Delivery Network (CDN) service that enhances website performance and security. You can activate Cloudflare for your domains directly from h-Panel to improve loading times and protect against DDoS attacks.
  16. Security Settings: In the Security Settings section, you can find various tools to enhance the security of your hosting account and website. This may include IP address blocking, SSL management, and options to enable or disable features like hotlink protection and leech protection.1
  17. Error Pages: With h-Panel, you can customize error pages for common HTTP errors (404, 403, etc.). This allows you to create a personalized and helpful message for visitors who encounter errors while navigating your website. 
  18. Resource Usage: The Resource Usage section provides information on how your hosting account's resources are being utilized. You can monitor CPU usage, memory usage, and other resource statistics to ensure your website stays within the allocated limits.
  19. Git Integration: For developers, h-Panel offers Git integration, allowing you to manage your Git repositories directly from the control panel. This feature is beneficial for version control and collaboration on software development projects.
  20. Subscriptions and Billing: In some hosting plans, you can manage your subscriptions and billing information through h-Panel. This section allows you to view your payment history, update payment methods, and manage auto-renewal settings.
  21. Language and Preferences: h-Panel provides language and preferences settings that allow you to customize the control panel's language, time zone, and other display preferences according to your preferences.

Hostinger's h-Panel is designed to be user-friendly and comprehensive, catering to both beginners and experienced users. Its intuitive interface and wide array of features make it a valuable tool for managing your hosting account, website, and related services effectively.


Benefits of Hostinger Products & Services

( होस्टिंगर उत्पादों और सेवाओं के लाभ )


https://alliswell24.blogspot.com/2023/07/How to Log in to hPanel Hostinger.html

Hostinger offers several benefits that make it a popular choice for individuals and businesses looking for web hosting services. Some of the key benefits of using Hostinger include:

  1. Affordability: Hostinger is known for its competitive pricing, making it an attractive option for those on a budget. Their hosting plans provide excellent value for money without compromising on performance.
  2. User-Friendly Interface: Hostinger's h-Panel (control panel) is intuitive and user-friendly, making it easy for beginners to manage their hosting account, websites, and other services without technical expertise.
  3. Wide Range of Hosting Services: Hostinger offers a variety of hosting options, including shared hosting, cloud hosting, VPS hosting, and WordPress hosting, allowing users to choose the most suitable hosting type for their specific needs.
  4. Performance and Uptime: Hostinger invests in modern technology and multiple data centers located worldwide to ensure faster loading times and high uptime. They also provide a 99.9% uptime guarantee, so your website stays accessible to visitors.
  5. Website Builder: Hostinger's website builder enables users to create professional-looking websites without coding knowledge. It offers a range of customizable templates and a drag-and-drop interface for easy website building.
  6. Free SSL Certificates: Hostinger provides free SSL certificates for all domains hosted on their platform. SSL certificates secure data transmission between the website and its visitors, improving security and trust.
  7. One-Click Installer: With the one-click installer (Softaculous), users can effortlessly install popular applications and CMS platforms like WordPress, Joomla, Drupal, and more, saving time and effort in website setup.
  8. Customer Support: Hostinger offers 24/7 customer support via live chat and email, ensuring assistance is readily available whenever needed. Additionally, they have a comprehensive knowledge base with helpful articles and tutorials.
  9. Scalability: Whether you are starting with a small website or need to grow with a larger project, Hostinger's hosting plans offer scalability. You can upgrade or downgrade your hosting package as your needs change.
  10. Security Features: Hostinger implements security measures to protect their servers and customer data. They offer DDoS protection, daily backups, and advanced security settings to enhance website security.
  11. Money-Back Guarantee: Hostinger provides a 30-day money-back guarantee on their hosting plans, allowing users to try their services risk-free and receive a full refund if they are not satisfied.
  12. Cloudflare Integration: Hostinger integrates with Cloudflare CDN, improving website performance and protecting against malicious attacks, enhancing overall website speed and security.
  13. Developer-Friendly Features: Hostinger supports various programming languages, including PHP, Ruby, Python, and others. It also offers Git integration and access to advanced settings for developers who require more control.

Overall, Hostinger's combination of affordability, performance, user-friendly interface, and a wide range of features makes it an appealing option for individuals and businesses seeking reliable web hosting services.

Pros and Cons

 

https://alliswell24.blogspot.com/2023/07/How to Log in to hPanel Hostinger.html

Pros of Hostinger:

  1. Affordability: Hostinger offers competitive pricing, making it an affordable choice for individuals and small businesses.
  2. Performance: Hostinger utilizes modern technology and multiple data centers, leading to faster loading times and better website performance.
  3. 99.9% Uptime Guarantee: Hostinger provides a 99.9% uptime guarantee, ensuring that your website stays online and accessible to visitors.
  4. User-Friendly Interface: The hPanel control panel is intuitive and easy to navigate, making it suitable for beginners and experienced users alike.
  5. Variety of Hosting Options: Hostinger offers a wide range of hosting services, including shared hosting, cloud hosting, VPS hosting, and WordPress hosting, allowing users to choose the best option for their needs.
  6. Free SSL Certificates: Hostinger provides free SSL certificates for all hosted domains, enhancing website security and trust.
  7. Website Builder: The website builder enables users to create websites without coding knowledge, with a selection of customizable templates and a drag-and-drop interface.
  8. One-Click Installer: Hostinger's one-click installer (Softaculous) makes it easy to install popular applications and CMS platforms with just a few clicks.
  9. 24/7 Customer Support: Hostinger offers round-the-clock customer support through live chat and email, ensuring assistance is available whenever required.
  10. Scalability: Users can easily upgrade or downgrade their hosting plans as their website and traffic requirements change.

Cons of Hostinger:

  1. Limited Resource Allocation: Some of the cheaper hosting plans may have limitations on resource allocation, which could affect high-traffic websites.
  2. No Phone Support: Hostinger does not provide phone support, which may be a downside for those who prefer direct communication.
  3. Limited Data Center Locations: While Hostinger has multiple data centers, they might not have locations in certain regions, which could impact website performance for users in those areas.
  4. No Traditional cPanel: Hostinger uses its custom h-Panel instead of the traditional cPanel, which might be different from what some users are accustomed to.
  5. No Dedicated Hosting: Hostinger does not offer dedicated hosting, which may not be suitable for large websites with high resource demands.
  6. Upselling Tactics: Some users have reported occasional upselling attempts during the checkout process, which could be perceived as intrusive.

It's essential to carefully consider these pros and cons in the context of your specific needs and requirements. Hostinger may be an excellent choice for those seeking budget-friendly hosting with reliable performance and a user-friendly interface, but it's always a good idea to compare it with other hosting providers to find the best fit for your individual or business needs.



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